लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पर संसद में कल से शुरू हो रही चर्चा के दौरान बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा द्वारा एक दूसरे को निशाना बनाए जाने की संभावना है।
भाजपा के कई नेताओं को आयोग ने दोषी ठहराया है जबकि पार्टी की आपत्ति तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव को आरोपमुक्त किए जाने पर है। सपा भी संभवत: इसे मुद्दा बना सकती है।
सपा के रूख से स्पष्ट है कि वह कांग्रेस को जोरशोर से निशाना बनाएगी। पार्टी के अनुसार उस समय राव के नेतृत्व वाली पार्टी घटनाक्रम पर रोक लगाने में विफल रही जिसकी परिणति बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के रूप में सामने आयी।
भाजपा बाबरी मस्जिद को सुरक्षित रखने में नाकाम रहने पर पार्टी द्वारा 1998 चुनाव में राव को टिकट नहीं देने को रेखांकित कर रही है। सपा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर राव को क्लीनचिट देने आरोप लगाते हुए उन्हें निशाना बना रही है। सिंह राव सरकार में वित्त मंत्री थे। इस आरोप को कांग्रेस ने खारिज कर दिया है।
लोकसभा में लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पर सात और आठ दिसंबर को चर्चा होनी है जबकि राज्यसभा में इस पर नौ और दस दिसंबर को चर्चा होगी। रिपोर्ट पर चर्चा की शुरूआत बाबरी मस्जिद गिराए जाने के 17 साल पूरा होने के एक दिन बाद हो रही है। यह पूछे जाने पर कि राव पर लगाए गए आरोपों का कांग्रेस कैसे जवाब देगी, पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, ‘‘ पार्टी रिपोर्ट के बारे में अपना रूख रखेगी।’’
कांग्रेस ने अब तक यह खुलासा नहीं किया है कि चर्चा में उसकी ओर से कौन शामिल होंगे और क्या राहुल गांधी इसमें शामिल होंगे या नहीं। राहुल ने पहले कहा था कि अगर उनके परिवार का कोई सदस्य सत्ता में होता तो मस्जिद नहीं गिरती। भाजपा ने रिपोर्ट में दोषी ठहराए गए नेताओं को चर्चा में शामिल नहीं करने का फैसला किया है। लोकसभा में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी तथा राज्यसभा में विनय कटियार और कलराज मिश्र चर्चा में शामिल नहीं होंगे।
भाजपा रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी दोषी ठहराए जाने को मुद्दा बना रही है। रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान लोकसभा में भाजपा की ओर से पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज प्रमुख वक्ता होंगे जबकि राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली, एम वेंकैया नायडू और रविशंकर प्रसाद वक्ता होंगे।
कल्याण सिंह के भी चर्चा में शामिल होने की संभावना है। वह छह दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उस समय वह भाजपा के प्रमुख नेताओं में से थे। लेकिन अब वह लोकसभा में निर्दलीय सदस्य हैं। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कल्याण सिंह को दोषी ठहराते हुए कहा है कि उन्होंने भाजपा तथा संघ परिवार के नेताओं के ‘‘ कार्टल ’’ की अगुवाई की।
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5 years ago
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